आपात सेवाएँ फिर शुरू लेकिन NMC बिल के ख़िलाफ़ नाराज़ डॉक्टर अभी भी हड़ताल पर
नाराज़ चिकित्सक राष्ट्रीय मेडिकल आयोग बिल 2019 के ख़िलाफ़ लगातार तीसरे दिन भी हड़ताल पर हैं हालांकि उन्होंने आपात सेवाएँ शुरू कर दी हैं। इसी बीच ओपीडी बंद होने की वजह से शहर में हज़ारों मरीज़ों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
एम्स, सफ़दरजंग, लोक नायक, राम मनोहर लोहिया जैसे कई बड़े सरकारी अस्पतालों के स्थानिक चिकित्सकों ने अपना काम बंद करके NMC बिल के ख़िलाफ़ धरना प्रदर्शन किया।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन ने इस बिल पर संसद में बहस के दौरान बोलने की शुरुआत करते हुए इसे मेडिकल पढ़ाई में सबसे बड़ा सुधार बताया। ये बिल स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार लाने के लिए भारतीय मेडिकल परिषद (MCI) की जगह लेगा।
इससे पहले दिन में एम्स और सफ़दरजंग अस्पताल के स्थानिक चिकित्सक संगठन परिसंघ (FORDA) के प्रतिनिधियों ने डॉ. हर्षवर्धन से मुलाक़ात की। चिकित्सकों ने NMC बिल की विषयवस्तु के बारे में स्वास्थ्य मंत्री से चर्चा की। हालांकि चिकित्सक स्वास्थ्य मंत्री द्वारा की गई व्याख्या से संतुष्ट नहीं हुए।
FORDA के अध्यक्ष डॉ. सुमेध संदांशिव के अनुसार NMC बिल सही तरीक़े से तैयार नहीं किया गया है। इसका देश के स्वास्थ्य क्षेत्र के भविष्य पर बुरा असर पड़ेगा। हम स्नातकोत्तर कोर्स या नेक्स्ट (सेक्शन 15) के लिए प्रवेश परीक्षा को लेकर अनिश्चित हैं। ये बिल सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदान करने वालों को आधुनिक चिकित्सा का अभ्यास करने के लिए सीमित लाइसेंस उपलब्ध करवाएगा।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री के साथ अपनी बैठक में हमने NMC बिल से जुड़ी अपनी चिंताओं के बारे में बात की। स्वास्थ्य मंत्री द्वारा की गई व्याख्या से हम अभी भी संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए हम हड़ताल जारी रखेंगे।
NMC बिल की अनिश्चितता के बारे में बात करते हुए, RDA-सफ़दरजंग अस्पताल के अध्यक्ष डॉ. प्रकाश ठाकुर ने द हेल्थ को बताया कि सबसे पहले तो NMC बिल मरीज़ों और चिकित्सकों के ख़िलाफ़ है। इस बिल के सेक्शन 10 के अनुसार 85 प्रतिशत से घटाकर 50 प्रतिशत नियंत्रित फ़ीस संरचना के अंतर्गत सीटों की संख्या कम करके निजि मेडिकल कॉलेजों या बिना सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों का ग़लत तरीक़े से समर्थन करने का रास्ता खुल जाएगा।
चिकित्सकों का कहना है कि NMC बिल निर्वाचित सदस्यों का प्रतिनिधित्व कम करेगा। MCI में 75 प्रतिशत की बजाय ये NMC में 20 प्रतिशत हो जाएगा। इसके अतिरिक्त ये केन्द्रीय सरकार को ये अधिकार देता है कि सेक्शन 45 के अंतर्गत गठित स्वायत्त मंडलों और NMC के फ़ैसलों या अनुशंसाओं को रद्द कर सके।
मीडिया से बात करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि उन्होंने मरीज़ों को ध्यान में रखते हुए चिकित्सकों से हड़ताल समाप्त करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि मैंने NMC बिल को लेकर चिकित्सकों के संदेह और ग़लतफ़हमियाँ दूर करने की कोशिश की है। ये बिल चिकित्सकों और मरीज़ों के हित में है और मेडिकल की पढ़ाई करने की इच्छा रखने वालों के लिए एक वरदान है। आने वाले दिनों में NMC जैसे ऐतिहासिक और बड़ा बदलाव लाने वाले बिल के लिए लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद कहेंगे।