मधुमेह से बुज़ुर्गों का बिगड़ता मानसिक स्वास्थ्य
मधुमेह से बुज़ुर्गों की मानसिक हालत ख़राब हो सकती है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(AIIMS) ने साबित किया कि मधुमेह रोग से उम्रदराज़ आबादी के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
मधुमेह से बुज़ुर्गों की मानसिक हालत ख़राब हो सकती है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(AIIMS) ने साबित किया कि मधुमेह रोग से उम्रदराज़ आबादी के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
इस अध्ययन का उद्देश्य मधुमेह रोग के साथ जी रहे बुज़ुर्गों के जीवन पर इस के बुरे असर को जानना था। इन रोगियों की तुलना उन मरीज़ों से की गई जिन्हें मधुमेह नहीं था।
इस अध्ययन के लिए नवम्बर 2014 से जून 2016 तक एम्स की ओपीडी में अलग-अलग मरीज़ों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया।
इस अध्ययन के लिए नवम्बर 2014 से जून 2016 तक एम्स की ओपीडी में अलग-अलग मरीज़ों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया।
एम्स में बुज़ुर्गों की चिकित्सा के विभाग के डॉक्टर रिशव बंसल ने कहा कि अगर किसी बुज़ुर्ग को मधुमेह रोग हो जाता है तो उसे रोज़ इसकी दवाई लेनी होगी। लंबे समय तक ये दवाइयाँ लेते रहने से उन का मानसिक स्वास्थ्य ख़राब होने का ख़तरा बढ़ जाता है।
जब हमने अध्ययन किया तो पता चला कि शुगर के बुज़ुर्ग मरीज़ों में अवसाद, चिंता और समझने में परेशानी जैसी ज़्यादा दिक्कते हैं जबकि उन मरीज़ों में ऐसा नहीं था जिन्हें शुगर नहीं थी।
एम्स में बुज़ुर्गों की चिकित्सा विभाग में प्रोफ़ेसर, डॉक्टर प्रसुन चैटर्जी ने कहा कि पूरी दुनिया में सामान्य मानसिक परेशानियों के लिए उम्र बढ़ना एक जाना-माना कारण है। इस अध्ययन में हम ने पाया कि शूगर के 35.6 प्रतिशत मरीज़ डिप्रेशन या अवसाद का शिकार थे जबकि ऐसे सिर्फ़ 16.7 प्रतिशत मरीज़ों को ही अवसाद था जिन्हें शूगर नहीं थी। इसी तरह शूगर नहीं वाले 4.4 प्रतिशत मरीज़ों की तुलना में शूगर वाले 12.8 प्रतिशत मरीज़ों में Generalized Anxiety Disorder (GAD) के लक्षण पाए गए। भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था में शूगर के ऐसे पुराने रोगियों को बेहतर देखभाल उपलब्ध करवाने की ज़रूरत है जो और भी कई पुरानी बीमारियाँ झेल रहे हैं।
मधुमेह के मरीज़ों में 53.9 प्रतिशत मानसिक कमज़ोरी के शिकार थे जबकि शूगर नहीं वाले मरीज़ों में ये आँकड़ा 27.2 प्रतिशत था। अध्ययन से पता चला है कि मधुमेह रोगियों में आम तौर पर 64.4 प्रतिशत उच्च रक्तचाप भी पाया गया है। अध्ययन के परिणाम Journal of Geriatric Mental Health में छपे हैं।
एम्स में मनोरोग चिकित्सा विभाग के प्रोफ़ेसर डॉ. नंद कुमार का कहना है कि बुज़ुर्गों को शूगर होने का मतलब है कि उन का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने का ख़तरा ज़्यादा है और इस वजह से उन का जीवन-स्तर भी ख़राब हो सकता है। मधुमेह को रोगियों को अपने पाचन-तंत्र से जुड़ी परेशानियों का इलाज तो करना ही चाहिए साथ ही मानसिक स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए भी परामर्श लेते रहना चाहिए।