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सर से जुड़े जग्गा-बलिया सफल सर्जरी के बाद आज घर को हुए रवाना

Jagga Balia

क्या आपने कभी सोचा था कि सर से जुड़े दो जुड़वा दूसरे जुड़वा बच्चों की तरह सेहतमंद और सामान्य जीवन जी सकेंगे। आपस में जुड़े जग्गा और बलिया की लगभग दो साल पहले अलग करने वाली सर्जरी करने वाले चिकित्सक भी इस बारे में प्रार्थना कर रहे थे।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स), दिल्ली के बहुविषयी चिकित्सकों के दल द्वारा Craniopagus जुड़वा भाईयों को सर से अलग करने वाली सर्जरी के बाद 6 सितम्बर 2019 को लगभग साढ़े चार साल के दोनों भाई ओडिशा में अपने घर के लिए रवाना हो गए। इन चिकित्सकों ने इसे भारत के लिए गर्व का पल बना दिया।

सर्जरी के बाद अपने माता-पिता के साथ जग्गा और बलिया

एम्स ने जग्गा और बलिया को अलग करने वाली सर्जरी की चुनौती स्वीकार की। चिकित्सा जगत के लिए इन जुड़वा भाईयों को अलग करना एक सबसे बड़ी चुनौती थी।

शुक्रवार को एम्स, दिल्ली के तीन चिकित्सकों और एक नर्स की टीम रेल मार्ग से दोनों बच्चों के साथ ओडिशा जाएगी। न्यूरोसर्जन डॉ. दीपक गुप्ता, न्यूरोएनेस्थेटिस्ट डॉ. गिरिजा रथ और बालरोग विशेषज्ञ डॉ. किरण कुमार इस टीम में शामिल हैं।

इस अद्भुत कारनामे की सराहना करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि एम्स के चिकित्सकों ने असाधारण प्रतिभा, विशेषज्ञता, प्रतिबद्धता और संवेदनशीलता का परिचय दिया है। ये गहन चिंतन और बहुत ही ध्यान से बनाई गई योजना का परिणाम है।

14 जुलाई 2017 को दिल्ली के एम्स में न्यूरोसर्जरी विभाग में जग्गा और बलिया को दाखिल किया गया था। न्यूरोसर्जरी के प्रोफ़ेसर डॉ. दीपक गुप्ता के नेतृत्व में एक सहायक दल और 125 चिकित्सकों के दल ने 28 अगस्त 2017 को पहली सर्जरी की जो 25 घंटे चली।

25 अक्तूबर 2017 को दोनों बच्चों को अलग करने वाला 20 घंटे चलने वाला अंतिम ऑप्रेशन किया गया जो सफल रहा। अगले पाँच महीनों तक त्वचा पर आए निशान और सर्जरी के निशान को ढकने के लिए छोटी-मोटी प्लास्टिक सर्जरी भी की गई।

सर्जरी के बाद जग्गा और बलिया अपनी उम्र के दूसरे बच्चों की तरह सामान्य जीवन जी रहे हैं। इन्हें कभी स्तनपान नहीं करवाया जा सका क्योंकि इनकी माँ को ऐसा करने में बहुत परेशानी आती थी। अब दोनों अलग-अलग बैठ सकते हैं और इनकी माँ इन्हें पसंदीदा खाना खिला सकती हैं। ये दोनों बच्चे खोपड़ी और मस्तिष्क से जुड़े हुए थे। इस अवस्था को Craniopagus twins कहा जाता है।

जग्गा बहुत चंचल है और किताबों में रंग करने, खेल खेलने, धूप सेकने और कार्टून देखने में मगन रहता है।

कौन है जग्गा और बलिया?

जग्गा (जगन्नाथ) और बलिया (बलराम) जन्म के समय से ही सर से जुड़े हुए थे। इस तरह के जुड़वा को Craniopagus twins कहा जाता है। ओडिशा के कंधमाल ज़िले की महिला ने सामान्य प्रक्रिया के द्वारा इन्हें जन्म दिया था। इन दोनों बच्चों के ओडिशा में दो बड़े भाई भी हैं।

सर्जरी से पहले जुड़े हुए जग्गा और बलिया

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि पूरी दुनिया में पिछले पचास सालों में इस अवस्था में सर्जरी से अलग होने के बाद केवल 10-15 बच्चे ही जीवित बच सके हैं। ये एक बहुत ही असाधारण मामला है जो 25 लाख मामलों में से किसी एक में देखा जाता है और ऐसे मामले में किसी भी तरह की सर्जरी से दोनों या किसी एक बच्चे का 75 से 80 प्रतिशत जान का ख़तरा बना ही रहता है।

Craniopagus twins कितना कम होता है इसका अंदाज़ा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि पूरी दुनिया में आपस में जुड़े जुड़वा में केवल 2.5 प्रतिशत ही craniopagus twins हैं। इस तरह के मामले अधिकतर सामने ही नहीं आते क्योंकि जन्म के कुछ समय बाद ही इनकी मृत्यु हो जाती है।

भारत को गौरवान्वित करने वाले एम्स के चिकित्सक:

दो मस्तिष्कों को अलग करने वाली सर्जरी करने वाले दल के मुख्य डॉक्टर न्यूरोसर्जरी प्रोफ़ेसर डॉ. दीपक गुप्ता ने कहा कि ये बहुत जटिल सर्जरी थी क्योंकि इसमें दो दिमाग़ अलग करने थे। हम दुनिया भर के चिकित्सकों से कई बार मिले। ये जुड़वा सिर्फ मस्तिष्क से ही नहीं जुड़े हुए थे बल्कि इनका रक्त प्रवाह भी एक-दूसरे से जुड़ा हुआ था। किसी भी बालरोग न्यूरोसर्जन को जीवन में कभी-कभार ही ऐसी सर्जरी करनी पड़ती है।

डिस्चार्ज के समय जग्गा-बलिया और उनके माता-पिता, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन के साथ चिकित्सकों का दल

डॉ. दीपक गुप्ता ने कहा कि हम किसी भी अनहोनी की आशंका से प्रार्थना कर रहे थे। सर्जरी के दौरान एक बच्चे को ऑप्रेशन टेबल पर ही दिल का दौरा पड़ा और हमें लगा कि हमने उसे खो दिया। हृदयरोग विशेषज्ञों की हमारी टीम तीस मीनट तक उसे बचाने में लगी रही। हमने अपना पूरा ध्यान केन्द्रित रखा और हम जग्गा और बलिया को बचाने में सफल रहे।

उन्होंने कहा कि पहली बार मुख्य सर्जरी से पहले सर्जरी के अभ्यास के लिए दिमाग़ का ऐसा 3D मॉडल बनाया गया जो बिल्कुल बच्चों के दिमाग़ जैसा ही था। हमने ऐसे विशेष हैलमेट भी तैयार किए थे जो बच्चों को पहनाए जाने हैं।

प्रो. गुप्ता याद करते हैं कि ऑप्रेशन से पहले जग्गा और बलिया बहुत ही चंचल बच्चे थे और ये पहचानना मुश्किल था कि कौन जग्गा है और कौन बलिया।

उन्होंने बताया कि किसी वजह से बलिया थोड़ा बेचैन रहता था और कम मुस्कुराता था। वो प्रतिक्रिया भी कम करता था जबकि जग्गा हमेशा मुस्कुराता रहता था और बलिया के साथ भी ख़ूब खेलता था। ऐसे पल भी थे जब आपस में जुड़े हुए बलिया रोता था जबकि जग्गा या तो शांत रहता था या फिर मुस्कुराता था। इससे जुड़वा बच्चों के मनोभावों की जटिलता का पता चलता है।

ओडिशा सरकार का सहयोग:

ओडिशा सरकार इन बच्चों को एम्स, दिल्ली में भर्ती किए जाने के समय से ही लगातार मदद उपलब्ध करवाती आ रही है।

डॉ. गुप्ता ने बताया कि ओडिशा सरकार ने इन बच्चों के इलाज के लिए एम्स को आर्थिक मदद भी दी थी लेकिन एम्स ने अधिकतर धनराशि सरकार को लौटा दी।

एम्स अधिकारियों का कहना है कि बच्चों की देखभाल के लिए ये राज्य सरकार की ओर से एक अच्छा फ़ैसला था। एम्स ने भी पिछले एक साल से इन बच्चों की देखभाल के लिए पूरी मदद की है।

अमरीका में 2016 में ऐसी ही एक सर्जरी के लिए 2.5 मिलियन अमरीकी डॉलर यानी लगभग 17 करोड़ रुपये का ख़र्च आया था।

ओडिशा के इन जनजातीय नन्हे बच्चों को पूरी दुनिया से प्यार मिला। इनके माता-पिता एम्स के निजी वार्ड में रह रहे थे और इनके दो बड़े भाई अपने रिश्तेदारों के पास ओडिशा में ही रह रहे थे।

इन जुड़वा बच्चों की माँ का कहना है कि हम मदद के लिए सरकार के शुक्रगुज़ार हैं और एम्स के डॉक्टर तो हमारे हीरो हैं। देश भर से लोगों ने मेरे बच्चों के लिए दुआ की है। इन बच्चों को अलग-अलग खेलते हुए और एक साथ बड़ा होते हुए देखकर हम बहुत ख़ुश हैं। इन्हें अब एम्स, दिल्ली जग्गा और बलिया कहा जाता है।

सर्जरी के बाद योजनाएँ:

दोनों बच्चों को शुरुआत में कुछ सप्ताह तक कटक के SCB मेडिकल कॉलेज में रखा जाएगा ताक़ि उनकी बहाली और सहायक देखभाल की जा सके।

डॉ. गुप्ता ने बताया कि neuropsychological assessment के तौर पर जग्गा का विकास हर तरह से सही हो रहा है और वो अपने घर पहुँचने के तुरंत बाद ओडिशा के विशेष विद्यालय में जा सकेगा।

उन्होंने बताया कि बलिया बौद्धिक दुर्बलता की वजह से neurologically disabled है। न्यूरो मनोविज्ञानी के अनुसार लंबे समय तक प्यार और ख़ास देखभाल से उसे पालने की ज़रूरत होगी।

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Jagga-Balia Get Separated To Live Together And Leave For Home Happily

Jagga Balia

Have you ever thought that conjoined twins attached from their heads can lead a healthy and normal life like other twins do? Even doctors those who conducted separation surgeries on conjoined twins i.e. Jagga and Balia about two years back, kept their fingers crossed.

On 6 September 2019, almost 4.5 years old separated Craniopagus twin brothers have left for their home in Odisha after a successful head separation surgery done by a multidisciplinary team of Doctors at the All India Institute of Medical Sciences (AIIMS), Delhi, who have made it a proud reality for India. 

Post-surgery Jagga-Balia Sitting With Their Parents

AIIMS took the challenge to perform the separation surgery for Jagga and Balia. For medical fraternity, it was one of the biggest challenges to separate the twins.   

On Friday, a team of three doctors (Dr Deepak Gupta, Neurosurgeon; Dr Girija Rath, Neuroanaesthetist; and Dr Kiran Kumar, Pediatrician) along with one nurse from AIIMS, Delhi will accompany the two children on their way back to Odisha via rail route.  

Applauding this rare feat, Dr Harsh Vardhan stated that the doctors of AIIMS have demonstrated extraordinary talent, expertise, determination and compassion in achieving it. This is the result of meticulous planning and precision of thinking.

Jagga-Balia were admitted to the Department of Neurosurgery (AIIMS, Delhi) on 14th July 2017. A team of 125 doctors and support team led by Dr Deepak Gupta, Professor of Neurosurgery, AIIMS, Delhi conducted the first stage surgery on 28th August 2017, lasting 25 hours. Surgery involved creating a venous bypass on Balia and partial brain separation from Jagga.

The final separation of the two children was successfully done on 25th October 2017 in an operation which lasted for 20 hours. Skin grafting and minor neurosurgical procedures were done for the twins to cover skin defects by the plastic surgery team over the next few months.

Post-surgery, Jaga and Balia are leading a normal life like other toddlers of their age. They were never breastfed because of the discomfort their mother faced during the feeding. Both can now sit individually and their mother can feed them food of their choice. The toddlers were fused at their brain and skull, a condition which is called Craniopagus twins. 

The super active Jaga is indulged in colouring books, playing games, taking sun bath and watching cartoons.  

Who are Jagga & Balia? 

Jagga (Jagganath) and Balia (Balram) were conjoined twins from their heads since their birth. Such twins are called Craniopagus twins. They took birth through a normal delivery from a mother who hails from the Kandhamal district of Odisha. The two children have two elder brothers in Odisha. 

Conjoined Twins (Jagga-Balia) Before Surgery

Dr. Harsh Vardhan said, “worldwide only 10-15 children have survived after surgical separation of this condition in the last 50 years. This is an extremely rare condition seen in 1 in 25 lakh live births and any kind of surgical intervention in this condition is associated with 75-80% risk of life to one or both children.”

The rarity of Craniopagus twins is such that only 2.5 percent of conjoined twins are craniopagus twins worldwide. Such cases are not reported by majority as most die soon after birth.  

AIIMS Doctor Who Made India Proud: 

Dr Deepak Gupta, professor of neurosurgery, one of the key doctors to perform separation surgery of two brains, said, “It was a complicated surgery. Because, it was surgical separation of two brains. We did multiple meetings with doctors across the globe. These twins shared not only brains but they were also sharing their blood circulation with one another. To any paediatric neurosurgeon, it is a once in a lifetime surgery.” 

Jagga-Balia and Their Parents (Centre), Group of Doctors With Union Health Minister, Dr. Harsh Vardhan At The Time of Discharge

“We were prepared for any unforeseen event with crossed fingers. During the surgery, one child (Jagga) suffered cardiac arrest on the operation table and we thought that we have lost him. Our team of cardiologist started to resuscitated for 30 minutes. But, we remained focused and successfully managed to save Jaga and Baila,” said Dr Deepak Gupta. 

“For the first time, a 3D brain model was developed which was true replica of brains of the kids to practice dry runs of the surgery prior to final surgery. We have also designed customized helmets for them, which kids have to wear,” he said. 

Professor Gupta recalls that before the operation Jagga and Baila were very playful children and it was very difficult to identify them as to who is Jagga and who is Balia . 

“Balia was somehow more jittery child and used to smile and interact less viz a viz Jaga who was smiling all the time and playful even when joined to Balia. There were moments when Balia was found crying and Jaga was either quiet or smiling while joined to Balia . This reflects complex intertwin sharing of emotions,” he said.

Support From The Odisha Government:

The Odisha government has provided continuous support to these two children right from the time of their admission to AIIMS, New Delhi and continue to do so.

Odisha government also gave financial aid to the AIIMS for the treatment of the twins, however, AIIMS returned the major amount of the aid to the government, Dr Gupta informed. 

AIIMS authorities said that it was a good gesture from state government for the care of the children. AIIMS also extended full support to take care of these children over last 1 year. 

A similar surgery in the US in 2016 cost Rs. 2.5 million USD (approx. Rs.17 crore).

These Odisha tribal toddlers gained attention and love from worldwide. Their parents have been staying at AIIMS private ward who have two elder sons residing at their hometown with relatives.

“I am thankful to the government extended their support to us and AIIMS doctors who are our ‘heroes’. People across the country have prayed for my kids. We are blessed to have my kids playing individually now and seeing them growing together. They are called now  AIIMS Delhi Jagga and Balia” said mother of twin boys. 

Post-surgery Plans:

The two children will be initially kept in SCB Medical College Cuttack for a few weeks for rehabilitation and supportive care.

Dr Gupta informed that while Jagga is developing well in all the domains on neuropsychological assessment and can join special school in Odisha immediately after going to his home state. 

“Balia remains neurologically disabled with profound intellectual impairment. He requires long-term rehabilitation care and needs nurturing and loving care as assessed by the neuropsychologists,” he said.

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