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स्वास्थ्य मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन ने सभी मुख्य मंत्रियों को लिखा पत्र: चिकित्सकों के हमलावरों के खिलाफ़ हो कङी कार्यवाही

Dr Harsh Vardhan

केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन ने शनिवार को कहा कि चिकित्सक पर हमला करने वाले किसी भी व्यक्ति के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य मंत्रियों को भारत में चिकित्सकों के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के बारे में लिखे पत्र में डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि चिकित्सकों पर हमला करने वाले किसी भी व्यक्ति के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए।

स्वास्थ्य मंत्री द्वारा ये निर्देश ऐसे समय में आया है जब देश भर में चिकित्सक कार्यस्थल पर सुरक्षा की माँग करते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले हफ़्ते कोलकाता में एक मरीज़ की मृत्यु हो जाने पर उसके परिजनों ने एक चिकित्सक को बुरी तरह घायल कर दिया। इस घटना ने देश व्यापी हड़ताल का रूप ले लिया और अपने-अपने अस्पतालों में चिकित्सकों ने चिकित्सा सेवा नहीं दी यानी ओपीडी और नियमित जाँच बंद रहे जिस की वजह से भारत में स्वास्थ्य सेवाएँ बाधित हुईं।

डॉ. वर्धन ने अपने पत्र में लिखा कि देश के बहुत से हिस्सों में स्थानिक चिकित्सक आक्रोश में हैं और स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान नहीं कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में चिकित्सकों की ये नाराज़गी और भी गहराती प्रतीत हो रही है और देश भर में सरकारी तथा निजी क्षेत्र के चिकित्सकों की हड़ताल का रूप ले रही है।

IMA द्वारा उपलब्ध अधिनियम 2017 यानी चिकित्सा सेवा कर्मी और चिकित्सा संस्थान की सुरक्षा(हिंसा से बचाव और सम्पत्ति को होने वाला नुक़्सान रोकने) वाले एक्ट मसौदे की कॉपी भी राज्यों को उपलब्ध करवाई गई। इस मसौदे में सज़ा का प्रावधान और सम्पत्ति को नुक़्सान होने की स्थिति में भरपाई का प्रावधान शामिल है।

राज्यों को लिखे अपने पत्र के माध्यम से डॉ. हर्षवर्धन ने मुख्य मंत्रियों को ड्राफ़्ट के बारे में याद दिलाया है और उन से अनुरोध किया है कि चिकित्सकों और चिकित्सा कर्मियों के बचाव के लिए विशेष विधान प्रयोग किया जाए।

FORDA के अंतर्गत हड़ताल पर गए चिकित्सा कर्मियों ने दिल्ली में 15 अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएँ की बंद:

स्थानिक चिकित्सक संगठन परिसंघ (FORDA) के अध्यक्ष सुमेध संदान्शिव ने द हेल्थ को बताया कि दिल्ली के 15 मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों से लगभग दस हज़ार स्थानिक चिकित्सकों ने हड़ताल में हिस्सा लिया। हम शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री से मिले। हमारी एक ही माँग है, चिकित्सा सेवा कर्मी और चिकित्सा संस्थान की सुरक्षा (हिंसा से बचाव और सम्पत्ति को होने वाला नुक़्सान रोकना) अधिनियम 2017. हम सुरक्षित कार्यस्थल चाहते हैं। हम ने बिना किसी को नुक़्सान पहुँचाए विरोध किया। हमने ये ध्यान भी रखा कि विरोध प्रदर्शन के दौरान मरीज़ों को किसी तरह की तकलीफ़ ना हो।

शनिवार को भारतीय चिकित्सा संगठन (IMA)और दिल्ली मेडिकल संगठन के प्रतिनिधियों ने भी स्वास्थ्य मंत्री के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की।

एम्स में चिकित्सा सेवाएँ सामान्य हुईं लेकिन चिकित्सकों का विरोध जारी:

एम्स के आरडीए के अध्यक्ष डॉ. अमरिंदर सिंह ने द हेल्थ को बताया कि एम्स के डॉक्टर हेल्मेट और पट्टियाँ पहनकर काम करते रहे। शनिवार देर शाम को स्थानिक चिकित्सकों ने भी मोमबत्तियाँ लेकर शांतिपूर्ण मार्च निकाला।

IMA प्रवक्ता ने बताया कि हर रोज़ चिकित्सकों को पीटा जाता है। सिर्फ़ शारीरिक हमले की ही रिपोर्ट होती है लेकिन गाली देने, धमकी देने और काम में रुकावट पैदा करने जैसे मामले अस्पतालों में आम तौर पर होते रहते हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार 90 प्रतिशत चिकित्सकों ने असुरक्षित कार्यस्थल को उन के बीच बढ़ते अवसाद और चिंता का एक मुख्य कारण बताया है।

IMA 17 जून 2019 को भी विरोध प्रदर्शन जारी रखने वाला है।

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Dr Harsh Vardhan Writes To All CMs Calling For Strict Action Against Assailants of Docs

Dr Harsh Vardhan

A strict action will be taken against any person who would assault a doctor, said Dr Harsh Vardhan, Union Minister for Health and Family Welfare on Saturday.

In a letter to the Chief Ministers of all States and UTs against the increasing incidents of violence on doctors in India, Dr Vardhan stated: “There should be a strict action against any person who assaults doctors.”

This direction of the health minister comes when doctors across the country are agitating and demanding security at workplace. Last week, a doctor at Kolkata was brutally injured by the relatives of the deceased patient. The incident sparked a nationwide strike resulted in shutting down medical services (OPDs and routine cases) at their respective hospitals which has hampered healthcare services in India.

“Resident doctors in many parts of the country are agitating and not providing healthcare services. Agitations by doctors in West Bengal seem to be getting aggravated and taking shape of strike by both Government and Private sector doctors all over the country,” Dr Vardhan wrote in the letter.

A copy of the Draft Act, i.e. “The Protection of Medical Service Persons and Medical Service Institutions (Prevention of Violence and Damage or Loss of Property) Act, 2017 provided by IMA, was also circulated to the States. The draft Act includes clauses on penalty and recovery in case of loss/damage to property.

Through his letter to the States, Dr. Harsh Vardhan has reminded the Chief Ministers about the Draft Act and requested them to consider enacting specific legislation for protecting doctors and medical professionals.

Striking Medicos shut down medical Aid at 15 Hospitals under FORDA in Delhi:

“Around 10,000 resident doctors from 15 medical colleges and hospitals of Delhi participated in the Strike. We met the health minister on Friday. We have single point demand i.e. The Protection of Medical Service Persons and Medical Service Institutions (Prevention of Violence and Damage or Loss of Property) Act, 2017. We want a safe-working space. We did an unharmful protest. We took precautions and did not let patients face any damage during the protest,” Dr Sumedh Sandanshiv, President, Federation of Resident Doctors’ Association (FORDA) told TheHealth.Today.

On Saturday, representatives  from the Indian Medical Association (IMA) and Delhi Medical Association (DMA) also had a high level meeting with the health minister.

Medical services resumed at AIIMS, Docs protest continued:

“Doctors at AIIMs continued the work by wearing bandages and helmets. Resident doctors also carried out a peaceful candle march on late Saturday evening”,  Dr. Amrinder Singh, President, RDA, AIIMS told TheHealth.Today

“Doctors are beaten everyday. Only physical assault gets reported whereas verbal abuse, threats and hindrance in work is usual practice in hospitals. According to surveys, 90% of doctors reported “insecure workplace” as one of the major causes of their increased anxiety & depression”, said IMA spokesperson.

IMA is likely to continue the protest on 17th June, 2019 as well.

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