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How Job Stress Causes Health Problems In India?

Job Stress Problems In India
Story Highlights

  • Work stress is a serious problem in youth as pointed by World Health Organisation (WHO)
  • Job stress includes long travelling hours, harassment at workplace, peer-pressure and lack of confidence.
  • In India, about 14-37 percent people are affected during their prime working years.

Ajay Gupta (name changed), 29, has been suffering with mental health condition for the past one year. This is largely due to his job stress. Ajay works in a multinational company in Delhi and has a huge work pressure.

He majorly complaints about his seniors and bosses that they do not have positive attitude towards their employees. He visited at a private hospital in Delhi and shared his problem with a doctor.  

Ajay is not the only one who is reeling with job related worries. There are many who are facing such problems, says health experts.

Doctors say that work-related stress is estimated as one of the biggest occupational health problems in India. According to them, there is about 14 – 37 percent prevalence of mental ill-health among Indian working class.

“Job stress also includes long travelling hours, harassment at workplace, peer-pressure and lack of confidence. Stress is the root cause of a mental ill-health, including anxiety and depression. Definitely, cases are increasing in the past couple of years. In my OPD, I see at least five patients who are office-goers and having worries related to their job,” said Dr Rajiv Mehta, Vice Chairperson in the department of psychiatry at Sir Ganga Ram Hospital, Delhi.

Dr Mehta, author of the book – ‘Speak To Anyone Easily’ informed that Ajay’s health condition is improving after medication and counseling. “There is a need for early identification and timely intervention. More of congenial and positive working environment is required for people to maintain mental wellness.”

Dr Rajesh Sagar, professor of psychiatry at AIIMS said that work stress is a serious problem in youth as pointed by World Health Organisation (WHO). “Work stress not only affects health but it also contributes to economic loss. In India, about 14-37 percent people are affected during their prime working years. Mental ill-health or distress is a major cause of sick absence from work. It reduces productivity and staff turnover resulting in low payments, rude and rigid behavior of boss, long hours of duty, no promotion etc.”

When we talk to patients, they reveal work pressure as one of the reasons for having stress at work. At AIIMS, we attend such patients at least two days in a week. There must be an awareness and education for employees to identify mental health issues at workplace, he added.

Confederation of British Industry has estimated that 15-30 percent of workers will experience some form of mental health in coming years.

Dr Smitha Deshpande, head of psychiatry department at RML hospital said, “For sure, the incidents of job stress are increasing among youth population. Three out of ten patients in OPD diagnosed with mental health illness due to adverse work environment at workplace.”

These health problems include: mental and behavioral health illness like anxiety; depression which can turn chronic; insomnia; health ailments and neurological diseases too, added Dr Deshpande.

Tips to manage stress at workplace:

  • Maintain positive relationships among employees
  • Prioritize and organize your work
  • Start your day by eating a healthy and filling breakfast
  • Take enough sound sleep
  • Get about 30 minutes of physical workout every day in the morning. It can uplift your mood.
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समाचार

काम के तनाव का आप पर बुरा प्रभाव

अजय गुप्ता (परिवर्तित नाम), 29, पिछले एक साल से मानसिक स्वास्थ्य में बदलाव का सामना कर रहे हैं। ये ख़ास तौर से उन की नौकरी से जुड़े तनाव की वजह से है। अजय दिल्ली में एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में नौकरी करते हैं और उन पर काम का बहुत दबाव है। अपने वरिष्ठ कर्मियों और बॉस के बारे में उन की प्रमुख शिक़ायत ये है कि उन लोगों का रवैया अपने कर्मियों के प्रति सकारात्मक नहीं है। अजय दिल्ली के एक निजी अस्पताल गए और अपनी समस्या के बारे में एक चिकित्सक से बात की।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अपने काम से जुड़ा तनाव झेलने वाले अजय अकेले व्यक्ति नहीं हैं। ऐसे बहुत से लोग हैं जो अजय की तरह ही परेशानी का सामना कर रहे हैं।

चिकित्सकों का कहना है कि अनुमानित तौर पर कार्य-स्थल से जुड़ा तनाव भारत में सबसे बड़ी व्यावसायिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक माना गया है। भारत की नौकरीपेशा श्रेणी में लगभग 14 से 37 प्रतिशत मानसिक रोग पाया जाता है।

दिल्ली स्थित सर गंगा राम अस्पताल में मनोरोग चिकित्सा विभाग के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजीव मेहता ने कहा कि कार्य से जुड़े तनाव में लंबी दूरी का सफ़र करना, कार्यस्थल पर शोषण, विश्वास की कमी और सहकर्मियों का दबाव भी शामिल है। तनाव की ही वजह से मानसिक रोग होते हैं जिन में चिंता और अवसाद भी शामिल हैं। निश्चित रूप से पिछले कुछ सालों से ये मामले बढ़ रहे हैं। अपनी ओपीडी में मैं कम से कम ऐसे पाँच रोगी देखता हूँ जो दफ़्तर जाते हैं और जिन्हें काम से जुड़ा तनाव है।

“स्पीक टू ऐनिवन ईज़ीली” पुस्तक के लेखक डॉ. मेहता ने बताया कि दवाओं और परामर्श के बाद अजय की हालत में सुधार हो रहा है। उन के अनुसार इस समस्या को जल्द पहचाने जाने और तुरंत इस के समाधान की ज़रूरत है। लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कार्यस्थल पर ज़्यादा से ज़्यादा सकारात्मक तथा अनुकूल माहौल होना चाहिए।

एम्स में मनोरोग चिकित्सा के प्रोफ़ेसर डॉ. राजेश सागर  ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार युवाओं में काम से जुड़ा तनाव एक बड़ी समस्या है। काम से जुड़े तनाव की वजह से ना सिर्फ़ सेहत ख़राब होती है बल्कि इस की वजह से आर्थिक नुक़्सान भी होता है।

भारत में अपने कार्य जीवन के मुख्य वर्षों में लगभग 14 से 37 प्रतिशत लोग तनावग्रस्त होते हैं। मानसिक रोग या परेशानी कार्य स्थल पर अनुपस्थित होने का मुख्य कारण बनते हैं।  इसी वजह से उत्पादकता कम होती है और मुनाफ़ा घटता है। जिस की वजह से बॉस का व्यवहार ख़राब होता है, अधिक घंटों तक काम करना पड़ता है और कोई पदोन्नति भी नहीं होती।

उन्होंने आगे कहा कि जब हम रोगियों से बात करते हैं तो वे कार्य स्थल पर तनाव की एक वजह काम का दबाव बताते हैं। एम्स में हम सप्ताह में कम से कम दो दिन इस तरह के रोगियों को देखते हैं। कार्यस्थल पर कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को पहचानने के लिए जागरूकता और जानकारी फैलाने वाले कार्यक्रमों की ज़रूरत है।

ब्रिटिश उद्योग परिसंघ का अनुमान है कि आने वाले वर्षों में 15 से तीस प्रतिशत कर्मी किसी न किसी मानसिक परेशानी से पीड़ित होंगे।

राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मनोरोग चिकित्सा विभाग की प्रमुख डॉक्टर स्मिता देशपांडे  ने कहा कि इस में कोई शक़ नहीं कि युवाओं में काम से जुड़े तनाव के मामले बढ़ रहे हैं। ओपीडी में दस में से तीन रोगियों में मानसिक रोगों की वजह कार्यस्थल पर काम का ख़राब माहौल होता है।

डॉ. देशपांडे बताती हैं कि इन स्वास्थ्य समस्याओं में अवसाद और चिंता जैसी मानसिक और व्यवहार संबंधी परेशानियाँ शामिल हैं। अगर ये लंबे समय तक रहें तो बाद में नींद ना आना और स्वास्थ्य से जुड़ी कई अन्य समस्याएँ पैदा करती हैं। यहाँ तक कि इन की वजह से न्यूरो या तंत्रिका संबंधी विकार भी पैदा हो सकते हैं।

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