दिल के रोगों से कैसे बचाता है मेडिटेशन
- ध्यान दिल की बीमारियों से बचने का सबसे पहला तरीक़ा है।
- मेडिटेशन तनाव दूर करता है और तनाव की वजह से ही ज़्यादातर बीमारियाँ होती हैं।
- डॉ. बसु ने बताया कि तनावग्रस्त दिमाग़ गंभीर रोग पैदा कर सकता है।
अमरीका के एक हृदय रोग विशेषज्ञ समूह ने एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन किया। इस समूह में एक भारतीय चिकित्सक भी शामिल थे। हृदय रोग विशेषज्ञों के इस समूह ने साबित किया कि ध्यान या मेडिटेशन हृदयवाहिनी या धमनियों के रोगों से बचाव में मदद करता है।
ये अध्ययन हाल ही में अमरीकी हृदय संस्थान या AHA द्वारा किया गया। AHA ने ध्यान से हृदयवाहिनियों पर पड़ने वाले संभावित लाभ से जुड़े आँकड़ों का अध्ययन किया। अध्ययन से पता चला कि मेडिटेशन का दिमाग़ पर सकारात्मक असर पड़ता है।
द हेल्थ ने डॉ. इन्द्रनील बसु रे से इस बारे में बात की जो कि अमरीका के सेंट फ्रांसिस अस्पताल में परामर्शक हृदयरोग विशेषज्ञ हैं। डॉ़. इन्द्रनील उत्तराखण्ड के ऋषिकेश में एम्स द्वारा आयोजित हृदयवाहिनी रोगों से बचाव और उपचार में मेडिटेशन की भूमिका विषय पर हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल होने भारत आए थे।
मेडिटेशन हृदय रोगों से कैसे बचाता है?
डॉ. रे एम्स, ऋषिकेश में अतिरिक्त हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर हैं। उन का कहना है कि आधुनिक चिकित्सा बहुत ज़रूरी है। इस का विकास किया जाना चाहिए। मैंने इस की सहायता से बहुत से मरीज़ों की जान बचाई है। लेकिन इस के अलावा भी उपयोगी वैज्ञानिक तरीक़े अपनाए जाने की ज़रूरत है। एक चिकित्सक के रूप में मुझे अपने मरीज़ों का जीवन बचाने के लिए हर तरीक़ा अपनाना चाहिए।
उन्होंने फिर कहा कि यही सही समय है कि AHA द्वारा किए गए अध्ययन से साबित तथ्य को हमें मान लेना चाहिए। मेडिटेशन से हम दिल से जुड़ी परेशानियों को शुरू होने से पहले ही ख़त्म कर सकते हैं। जब एक बार दिल से जुड़ी बीमारियाँ शुरू हो जाती हैं तब इलाज के लिए दवाएँ ही ज़रूरी होती हैं। लेकिन ध्यान दिल की बीमारियों से बचने का सबसे पहला तरीक़ा है। तो हम सबसे पहले ऐसा तरीक़ा ही क्यों ना चुनें जो दिल के रोगियों को सकारात्मक परिणाम देता हो? मेडिटेशन तनाव दूर करता है और तनाव की वजह से ही ज़्यादातर बीमारियाँ होती हैं।
शोधकर्ताओं ने मुख्य रूप से 8 तरह के मेडिटेशन अभ्यास पर ध्यान केन्द्रित किया। अलग-अलग प्रतिभागियों ने ये 8 तरह के अभ्यास किए। आठ प्रकार के मेडिटेशन अभ्यासों में उन्होंने जाना-माना विपश्यना ध्यान, ज़ेन ध्यान और राजयोग ध्यान भी किया।
अध्ययन से साबित हुआ कि मेडिटेशन से तनाव, चिंता और अवसाद का स्तर कम हुआ। इस से मेडिटेशन करने वाले व्यक्तियों की नींद भी पहले से अच्छी हो गई।
डॉ. बसु ने बताया कि तनावग्रस्त दिमाग़ गंभीर रोग पैदा कर सकता है। शरीर और दिमाग़ की तनाव पैदा करने की अपनी समझ होती है। आदिम मानव के ज़माने से ही दिमाग़ तनाव पैदा करने का आदी है। जंगली जानवरों से सामना होने पर ये या तो जानवर से लड़ने के लिए या फिर मारे जाने के डर से तनाव पैदा करता था। हमारा दिमाग़ आज भी उतना ही तनाव पैदा करता है हालांकि एक विकसित समाज में हमें आज उस तरह के ख़तरे का सामना नहीं करना पड़ता।
मेडिटेशन से मस्तिष्क को आराम मिलता है। इस से दिमाग़ को एक समय में एक ही जगह ध्यान केंद्रित करने का प्रशिक्षण मिलता है। मेडिटेशन दिमाग़ के आंतरिक क्रियाकलापों पर असर डालता है। ये क्रियाकलाप तनाव पैदा नहीं करते। बस दिमाग़ की समझ को कोई एक बुरा ख़याल मिलता है और फिर एक के बाद एक बुरे ख़याल शुरू हो जाते हैं। ऐसा लगातार होने पर उच्च रक्तचाप शुरू हो जाता है और फिर दिल की बीमारी जैसे गंभीर रोग होते हैं।
ध्यान हमारे सोचने की प्रक्रिया को सही करता है और आस-पास रोज़ाना होने वाली अप्रिय घटनाओं को ज़िम्मेदार ठहराने की हमारी आदत बदल देता है।