दिल्ली के उप-राज्यपाल का कहना: चिकित्सकों और मरीज़ों के बीच फिर भरोसा पैदा होना चाहिए
चिकित्सकों और मरीज़ों के आपसी रिश्ते के बारे में चिंता ज़ाहिर करते हुए दिल्ली के उप-राज्यपाल अनिल बैजल ने शनिवार, 13 अप्रैल को कहा कि चिकित्सकों और मरीज़ों का आपसी भरोसा काफ़ी कम हो गया है और इसे फिर से बढ़ाए जाने की ज़रूरत है।
सर गंगा राम अस्पताल के 64वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर बोलते हुए दिल्ली के उप-राज्यपाल श्री बैजल ने कहा कि बदलते समय में चिकित्सकों और मरीज़ों का आपसी रिश्ता भी काफ़ी बदल गया है। दोनों पक्षों के बीच भरोसा कम हो गया है और इसे फिर से बढ़ाए जाने की ज़रूरत है। आज मरीज़ों के पास बहुत सी जानकारियाँ हैं और वे पेरशान भी हैं। चिकित्सा से जुड़े लोगों द्वारा कंधे पर दी गई हल्की सी थपकी या सहानुभूति भरे शब्दों से फिर से ये भरोसा पैदा हो सकता है।
सर गंगा राम अस्पताल के बोर्ड ऑफ़ मैनेजमैंट के अध्यक्ष, डॉ. डी.एस. राणा ने भी ऐसा ही कहा। उन्होंने बताया कि हम सर गंगा राम अस्पताल में चिकित्सकों और मरीज़ों के बीच लगातार दोस्ताना माहौल बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। अस्पताल के प्रबन्धक बोर्ड में कई जाने-माने सलाहकार हैं, जो अस्पताल में मिलनसार माहौल बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं।
सर गंगा राम अस्पताल के इंटरनल मैडिसिन के अध्यक्ष डॉ. एस.पी. बयोत्रा ने कहा कि डॉ. द्वारा बताई गई दवाओं के बारे में मरीज़ इंटरनेट पर पढ़ते हैं और इस के बुरे प्रभावों के बारे में भी जानते हैं। लेकिन इंटरनेट तो हर तरह की दवाई के साइड इफ़ैक्ट्स के बारे में बताता है। जब मरीज़ अपने आप हासिल की गई जानकारी के साथ चिकित्सक के पास आता है तब उसे इलाज के बारे में समझाना मुश्किल हो जाता है।
ये भी उल्लेखनीय है कि मरीज़ों के बीच भरोसे की कमी की वजह से ही भारत में चिकित्सकों के ख़िलाफ़ मार-पीट और हाथा-पाई के कई मामले सामने आते हैं। कुछ मामलों में तो गंभीर चोट भी लग जाती है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सकों ने भी कार्यस्थल पर सुरक्षा से जुड़े ऐसे ख़तरे का सामना किया है।
भारतीय चिकित्सा संगठन के अनुसार किए गए एक अध्ययन के अनुसार 75 प्रतिशत से ज़्यादा चिकित्सकों ने कार्यस्थल पर हिंसा का सामना किया है।
आपसी भरोसा कैसे बढ़ाया जाए ?
हेल्थ.टुडे से बात करते हुए डॉ. बयोत्रा ने कहा कि भरोसा जीतने के लिए चिकित्सकों को मरीज़ों को थोड़ा और समय देना चाहिए। मरीज़ों को हर बात विस्तार से बतानी चाहिए। जब एक बार मरीज़ उपचार की प्रक्रिया समझ जाते हैं तो वे चिकित्सक पर भरोसा करने लगते हैं। लेकिन भारत में मरीज़ों की संख्या कुल चिकित्सकों की संख्या से बहुत ज़्यादा है। ऐसे में चिकित्सकों को अपनी समझदारी से गंभीर रोगियों को इलाज के बारे में हर बात विस्तार से बतानी चाहिए और इस तरह चिकित्सक और मरीज़ के आपसी संबंध में एक संतुलन बनाना चाहिए।