ग्रामीण भारत में बढ़ती आय: लोग पी रहे हैं अधिक महँगी शराब
- भारतीय घरों में शराब पर हर महीने लगभग 410 करोड़ रुपये ख़र्च किए जाते हैं।
- ग्रामीण इलाक़ों में उच्च आय वाला वर्ग शहरी इलाक़ों की तुलना में ज़्यादा शराब पीता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 2014 में पूरी दुनिया पर रोगों का 5.1 प्रतिशत बोझ शराब पीने की वजह से ही पड़ा।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) और भारतीय सांखि्यकीय संस्थान(ISI) के शोधकर्ताओं ने एक संयुक्त अध्ययन में पाया कि भारत में ग्रामीण इलाक़ों में लोग औसतन हर महीने हर तरह की शराब पर 278 करोड़ रुपये ख़र्च करते हैं और 3.7 करोड़ लीटर शराब पी जाते हैं।
ग्रामीण इलाक़ों की तुलना में शहरी इलाक़ों में लोग हर तरह की शराब पर हर महीने 132 करोड़ रुपये ख़र्च करते हैं और अस्सी लाख लीटर शराब पीते हैं।
शोधकर्ताओं ने अलग-अलग आय वर्ग के आधार पर ग्रामीण और शहरी इलाक़ों में शराब के सेवन और इस पर होने वाले ख़र्च के बारे में शोध किया। इस से साफ़ पता चलता है कि सामान्य घरों में मासिक आय का लगभग एक प्रतिशत हिस्सा शराब पर ख़र्च होता है।
इस शोध के सह-लेखक, Indian Statistical Institute, दिल्ली के शोध सहायक, आकाश सूद ने द हेल्थ.टुडे को बताया कि भारतीय घरों में शराब पर हर महीने लगभग 410 करोड़ रुपये ख़र्च किए जाते हैं और 4.5 करोड़ लीटर शराब पी जाती है। भारत में औसतन हर तरह की शराब का कुल सेवन गाँवों में 0.22 लीटर और शहरों में 0.10 लीटर प्रति माह है। भारतीय घरों में हर महीने औसतन 0.18 लीटर शराब पी गई।
अध्ययन का परिणाम Asian Journal of Psychiatry में छापा गया है। इस अध्ययन में भारत के सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से लगभग 65,000 घरों से राष्ट्रीय स्तर पर सैंपल लिए गए। इस विश्लेषण के लिए डेटा 2011-12 में राष्ट्रीय सैम्पल सर्वे संगठन द्वारा किए गए 68वें उपभोक्ता ख़र्च सर्वेक्षण(CES) से लिया गया।
द हेल्थ.टुडे से विशेष संवाद में एम्स के National Drug Dependence Treatment Centre (NDDTC) के मनोरोग चिकित्सा के प्रोफ़ेसर डॉ. अतुल आंबेकर ने बताया कि जब ग्रामीण इलाक़ों में आय बढ़ती है तो लोग शराब पर अधिक ख़र्च करने लगते हैं। शहरी इलाक़ों में भी आय बढ़ने पर ख़र्च बढ़ता है लेकिन ग्रामीण इलाक़ों में उच्च आय वाला वर्ग शहरी इलाक़ों की तुलना में ज़्यादा शराब पीता है। ये शहरों में 0.19 लीटर की तुलना में गाँवों में 0.46 लीटर है।
शराब के बढ़ते सेवन का रुझान एक समस्या क्यों है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 2014 में पूरी दुनिया पर रोगों का 5.1 प्रतिशत बोझ शराब पीने की वजह से ही पड़ा। एम्स ने भी भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के कहने पर राष्ट्रीय ड्रग सर्वेक्षण 2019 किया।
राष्ट्रीय ड्रग सर्वेक्षण में पता चला कि सभी उम्र के लोग शराब का सेवन करते हैं यहाँ तक कि 10 से 17 साल के बच्चे भी। 5.7 करोड़ से ज़्यादा लोगों को शराब की लत है और वे इसका नुक़्सान भी उठा रहे हैं।
शराब पीने की समस्या के मामले में उन्हें तुरंत मदद चाहिए। शराब का सेवन करने वाले पाँच में से लगभग एक व्यक्ति को शराब की लत लग चुकी है और उसे तुरंत इलाज की ज़रूरत है।
अध्ययन से ये भी पता चला कि शराब का सेवन करने वाले लोग दिन के समय पीने के बाद मार-पिटाई करने लगते हैं। शराब पीने के बाद अधिक सड़क दुर्घटनाएँ भी होती हैं।
अध्ययन से पता चला है कि 2.9 करोड़ लोगों को शराब की लत है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल, दिल्ली के मनोरोग चिकित्सा विभाग की अध्यक्ष डॉ. स्मिता देशपाण्डे बताती हैं कि शराब की लत की वजह से बहुत सी समस्याएँ पैदा होती हैं। शराब का आदी इंसान अपने दिमाग़ पर नियन्त्रण खोने लगता है। शराब की वजह से सामाजिक, शारीरिक और मानसिक परेशानियाँ होने लगती हैं। उन के जीवन के हर पहलू पर इस का असर पड़ता है। उनके जीवन की पहली प्राथमिकता शराब हासिल करना और इसे पीना ही हो जाती है। नशे में रहने की वजह से वे फ़ैसला नहीं ले पाते और उन में ग़ुस्सा बढ़ने लगता है।
राष्ट्रीय ड्रग सर्वे में शोधकर्ताओं द्वारा किए गए विश्लेषण हैं:
- शराब का सेवन करने वाले अधिकतर पुरुष हैं(लगभग 95 प्रतिशत)
- नशे की लत के शिकार लोगों के इलाज के केन्द्र बनाने के लिए भारत को बड़े पैमाने पर निवेश करने की ज़रूरत है।
- प्रशिक्षित स्टाफ़, दवाओं और आपूर्ति वाले बाह्य रोगी क्लिनिकों की सख़्त ज़रूरत है।
- बचावकारी कार्यक्रमों में ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि युवाओं का सही से विकास हो और वे अपने जीवन में स्वस्थ रहें।
- इस तरह के कार्यक्रमों के द्वारा युवाओं को उन की क्षमताओं का पूरा अहसास करवाया जाना चाहिए ताक़ि वे अपने समुदाय और समाज के लिए सकारात्मक कार्य कर सकें।