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वैश्विक स्वास्थ्य समाचार

बच्चों को व्यस्त रखने वाली स्क्रीन कर रही उन की सेहत ख़राब

Screen time for kids
मुख्य बिंदु

  • साठ प्रतिशत भारतीय सुबह जागते ही पाँच मिनट के भीतर अपना मोबाइल फ़ोन चैक करते हैं।
  • चिकित्सकों का कहना है कि स्क्रीन के सामने अधिक समय बिताने से बच्चों की सेहत ख़राब होती जा रही है।
  • स्मार्टफ़ोन से नींद पर भी असर पड़ता है जिस वजह से लोग मोटे होते हैं।
  • शारीरिक गतिविधियाँ कम होने की वजह से बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ रही है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार पाँच साल के कम उम्र के बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए ये ज़रूरी है कि उन का स्क्रीन टाइम या स्क्रीन के सामने बीतने वाला समय एक दिन में एक घण्टे से अधिक ना हो। स्क्रीन टाइम का मतबल है टी.वी. देखना या वीडियो देखना या फिर कंप्यूटर पर गेम खेलना।

द हेल्थ.टुडे को भारत के श्रेष्ठ बालरोग विशेषज्ञों ने बताया कि छोटे बच्चों के जीवन से स्क्रीन टाइम कम करने की ज़रूरत है। देखा गया है कि बच्चे दिन भर स्मार्टफ़ोन, टी.वी. और टैबलेट आदि से चिपके रहते हैं।

चिकित्सकों का कहना है कि स्क्रीन के सामने अधिक समय बिताने से उन की सेहत ख़राब होती जा रही है। शारीरिक गतिविधियाँ कम होने की वजह से बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ रही है। अधिकतर बच्चे सुबह जागने पर तरो-ताज़ा महसूस नहीं करते हैं। या तो वे स्कूल नहीं जा पाते या फिर दिन में आधे समय थके-थके रहते हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि रात 10 से 12 बजे के बीच सोने का पारम्परिक समय नॉक्टर्नल स्लीप कहलाता है जो मस्तिष्क को सबसे अधिक आराम देता है।

भारत की जानी-मानी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और बाल मनोवैज्ञानिक डॉ. अरूणा ब्रूटा ने बताया कि हर रोज़ पाँच से सात छोटे बच्चे मेरे पास परामर्श के लिए लाए जाते हैं। ये बच्चे मोटापे, मधुमेह और नींद ना आने की बीमारी के शिकार होते हैं। अगर वे देर तक जागते रहेंगे तो सुबह कभी भी तरो-ताज़ा महसूस नहीं करेंगे क्योंकि वे नॉक्टर्नल स्लीप ले ही नहीं रहे हैं।

द हेल्थ.टुडे से बात करते हुए भारत के श्रेष्ठ बालरोग विशेषज्ञों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के नए दिशा-निर्देशों पर टिप्पणी की:

एम्स, नई दिल्ली के मनोरोग चिकित्सा विभाग में क्लिनिकल साइकॉल्जी की सहायक प्रोफ़ेसर डॉ. रचना ने कहा कि माता-पिता के व्यवहार में बदलाव लाए बिना आप बच्चे का व्यवहार नहीं बदल सकते। भारतीय परिवारों में मोबाइल का उपयोग एक सामान्य बात है। माता-पिता को इस की जानकारी नहीं होती। बच्चे भी ये नहीं बताते कि वे स्मार्ट फोन से चिपके रहते हैं और उन्हें लगता है कि इस आदत को तो वे कभी भी बदल सकते हैं।

नई दिल्ली स्थित एम्स के बालचिकित्सा विभाग के चाइल्ड न्यूरोलॉजी प्रभाग की प्रमुख डॉ. शिफ़ाली गुलाटी ने कहा कि अभिभावकों को लगता है कि बच्चे स्मार्टफ़ोन के साथ व्यस्त हैं और जानकारी हासिल कर रहे हैं। लेकिन कम शारीरिक गतिविधि की वजह से उन के दिमाग़ का विकास धीमी गति से होता है।

डॉ. गुलाटी ने बताया कि छोटे बच्चों द्वारा साधारण सी कसरत से उन के मस्तिष्क में neurotrophic factor का स्तर बढ़ जाता है जो नए न्यूरोन्स पैदा करने में मदद करता है। शारीरिक गतिविधि से बच्चों में बेचैनी कम होती है और वे किसी काम पर ज़्यादा ध्यान केन्द्रित कर पाते हैं। माता-पिता को अपने बच्चों के साथ गतिविधियों में शामिल होने के लिए समय निकालना चाहिए।

डॉ. अरूणा ब्रूटा का कहना है कि बच्चों को व्यस्त रखने के लिए बहुत से रचनात्मक खिलौने मिलते हैं लेकिन अभिभावक उन्हें स्मार्टफ़ोन देकर आसान रास्ता चुन लेते हैं। असल में माता-पिता को ख़ुद ही स्मार्टफ़ोन की लत लग चुकी है।

अभिभावक और बच्चों के रिश्ते पर टिप्पणी करते हुए डॉ. ब्रूटा ने कहा कि भारतीय संस्कृति के अनुसार माता-पिता का काम बच्चों को डराना और उन्हें अनुशासित बनाने की कोशिश करना है जबकि वे ख़ुद ही अनुशासित नहीं होते। अब चुंकि हमने अपने माता-पिता को बहुत कड़क रवैया अपनाते हुए, ग़ुस्से में और डाँटते हुए देखा है इसलिए अपने बच्चों के साथ भी हम वैसा ही व्यवहार करते हैं।

डॉ. ब्रूटा के अनुसार सबसे पहले तो आपको अपने बच्चे का अभिभावक बनना छोड़कर उस का दोस्त बनना सीखना होगा। पश्चिमी देशों में लोग अनपेरेंटिंग की अवधारणा का पालन करते हैं लेकिन भारतीय समाज में लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं है। एशियाई देशों में माता-पिता पश्चिमी देशों की तुलना में ज़्यादा सख़्त होते हैं।

2010 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सेहत के लिए शारीरिक गतिविधि के बारे में वैश्विक अनुशंसा या परामर्श जारी किए थे। ऐसे परामर्शों को ना मानने के वजह से हर साल दुनिया भर में हर आयु वर्ग में पचास लाख से ज़्यादा मौते होती हैं। सच्चाई ये है कि 23 प्रतिशत से अधिक वयस्क और अस्सी प्रतिशत से अधिक किशोर सही मायनों में शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं हैं।

दुनिया में स्वास्थ्य की सर्वोच्च संस्था, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी किए गए नए दिशानिर्देश अपनी तरह के पहले निर्देश हैं। ये दिशानिर्देश लिंग, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि या परिवारों के सामाजिक-आर्थिक स्तर से अलग पाँच साल से कम उम्र के सभी स्वस्थ बच्चों के लिए हैं।

भारतीय माता-पिता के लिए ये चिंता का विषय क्यों है?

स्मार्टफ़ोन लगभग दशक भर पहले ही आया है लेकिन भारत में इस ने अपनी जो जगह बनाई है उस से वैश्विक विक्रेता हैरान हैं। CISCO की हालिया रिपोर्ट के अनुसार गेम ट्रैफ़िक में हर साल 49 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2021 तक भारत में स्मार्टफ़ोन के 780.6 मिलियन उपयोगकर्ता होंगे।

साठ प्रतिशत भारतीय सुबह जागते ही पाँच मिनट के भीतर अपना मोबाइल फ़ोन चैक करते हैं। Deloitte द्वारा 2017 में किए गए सर्वे के अनुसार दुनिया भर में चालीस प्रतिशत से अधिक उपयोगकर्ता सोने के समय आधी रात को अपने स्मार्टफ़ोन का इस्तेमाल करते हैं।

डॉ. ब्रूटा ने बताया कि हर रोज़ मेरे पास माता-पिता ऐसे तीन या चार बच्चों को लेकर आते हैं जो कक्षा सात से कम में पढ़ रहे हैं और जिन्हें स्मार्टफ़ोन की लत लग चुकी है। इतनी छोटी अवस्था में ही ये बच्चे टिक-टॉक और पबजी पर हैं और बहुत सी सोशल चैट और साइट्स का इस्तेमाल करते हैं।

स्मार्टफ़ोन से नींद पर भी असर पड़ता है जिस वजह से लोग मोटे होते हैं। जापान में छ: से सात साल के 8,274 बच्चों पर विस्तृत अध्ययन किया गया जिस से पता चला कि बच्चे के मोटापे और उस की कम नींद के बीच सीधा संबंध है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार तीन से चार साल के बच्चों को 10 से 13 घण्टे की गहरी नींद लेनी चाहिए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन रिपोर्ट में दी गई सलाह:

एक साल के कम उम्र के बच्चों के लिए:

  • प्रोन पोज़िशन में (पेट के बल) कम से कम आधे घण्टे तक शारीरिक गतिविधि
  • कोई स्क्रीन टाइम नहीं
  • 0-3 महीने के बच्चे के लिए 14 से 17 घण्टे या 4-11 माह के बच्चे के लिए 12 से 16 घण्टे की गहरी नींद जिस में झपकियाँ भी शामिल हैं।

1- 2 साल के बच्चों के लिए:

  • तेज़ या धीमी लेकिन कम से कम 180 मिनट की किसी भी तरह की शारीरिक गतिविधि ज़रूर करें।
  • एक साल के बच्चे के लिए स्क्रीन टाइम(टी.वी. या विडियो या फिर कंप्यूटर गेम खेलना) नहीं होना चाहिए।
  • दो साल के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम एक घण्टे से ज़्यादा नहीं होना चाहिए बल्कि इससे कम ही होना चाहिए।
  • 11 से 14 घण्टे तक अच्छे से सोना चाहिए।

3-4 साल के बच्चों के लिए:

  • कम से कम 180 मिनट की किसी भी तरह की शारीरिक गतिविधि ज़रूर करें।
  • एक घण्टे से ज़्यादा स्क्रीन टाइम नहीं होना चाहिए, इस से कम हो तो और भी अच्छा।
  • 10 से 13 घण्टे की गहरी नींद ज़रूर लें।
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News World Health

How Your Idea of Keeping Kids Busy With Screens is Spoiling Their Health?

Screen time for kids
Highlights

  • There will be 780.6 million smartphone users in India by 2021
  • 60% of Indians check their mobile phone within five minutes of waking up in the morning.
  • More than 40% of global consumers access their smartphone for some use in the middle of the night
  • More than 23% of adults and 80% of adolescents are not sufficiently physically active.
  • Smartphone affects the sleep cycle also which turns people obese.

Screen time such as watching TV or Videos or playing computer games should not be more than one hour in a day for children below the age of 5 years for their mental health, according to new guidelines issued by the World Health Organization (WHO).

TheHealth.Today learnt from the top pediatricians of India that there is a need to reduce the screen time for kids for their better mental health and growth. In India, Children remain glued to the smartphones, TVs and tablets throughout the day.

“Spending too much time on screens is having detrimental effects on children’s health. There is an increased obesity problem among children because of less physical activities. Most of the young ones do not wake up fresh in the morning. Either, they miss school or remain tired in the first half of the day,” said doctors.

“Every day, 5-7 young kids related to obesity, diabetes and sleep disorders come to see me for seeking consultancy. If they stay up late, they will never wake up fresh in the morning because of not having nocturnal sleep,” said Dr. Aruna Broota, Clinical Psychologist and acclaimed mental health expert in India.

Health experts say that a traditional time of sleeping between 10 to 12 PM is called a nocturnal sleep which gives a maximum rest to the brain.

Why There Should Be A Managed Screen Time For Kids?

While speaking to TheHealth.Today, the top pediatricians from India commented on the recent guidelines from WHO:

“You cannot modify the behaviour of a kid without changing the behaviour of the parents. Mobile usage is very common in the Indian families. Parents are not aware of it. Children also deny that they are hooked to smartphones and they feel that they can control it anytime,” said Dr Rachna, Associate Professor in Clinical Psychology, Department of Psychiatry at AIIMS, New Delhi.

“Parents are under the impression that kids are engaged and gaining knowledge through smartphones. But, in the absence of less physical activity, their brain growth gets poor”, said Professor Sheffali Gulati, Chief, Child Neurology Division, Department of Pediatrics, AIIMS, New Delhi.

Dr Gulati added “Simple aerobic exercise by the young ones can boost the level of brain-derived neurotrophic factor (BDNF) which stimulates the birth of new neurons. The physical activity makes the kids more focused and less impulsive. Parents should spare time to involve with the activities of their kids”.

“There are so many constructive ways to keep kids busy. Parents find a easy way out by giving them smartphones. In fact, parents themselves are addicted to the smartphones,” said Dr. Broota.

On parent-children relationship Dr. Broota commented, “According to Indian culture, A parent is who scolds and and tries to discipline the child without being disciplined by own self. Because we have seen our parents very rude and snobbish to us and authoritative, that is why, we give the same treatment to our children”.

“First you have to learn how to unparent yourself and become a friend of your child. The concept of ‘Unparenting’ is followed by West but very unknown and unheard in indian society. Asians parents are more authoritative than West”, said Dr. Broota.

In 2010 WHO published Global recommendations on physical activity for health. In the failure of meeting such recommendations, there are more than 5 million deaths globally each year among all age groups. In fact, more than 23% of adults and 80% of adolescents are not sufficiently physically active.

The new guidelines from WHO are first of its kind from the highest health authority in the world. These guidelines are for all healthy children under 5 years of age, irrespective of gender, cultural background or socio-economic status of families.

Why It is A Concern?

Smartphone was introduced a bit decade ago but its penetration in India has stunned global marketers. There will be 780.6 million smartphone users in India by 2021 with an annual growth of 49% in gaming traffic as per latest report by CISCO.

60% of Indians check their mobile phone within five minutes of waking up in the morning. More than 40% of global consumers access their smartphone for some use in the middle of the night, after having gone to sleep, and before waking up, as per Deloitte survey conducted in 2017.

“Everyday 3-4 cases below the class of 7 come to me through their parents who are addicted and hooked to the smartphones. When they are in such a tender age, they are already on PUBG, TikTok and using so many social chats and sites,” said Dr. Broota.

Smartphone affects the sleep cycle also which turns people obese. A large cross-sectional study of 8,274 children aged 6-7 years in Japan reported a clear relationship between short sleep duration and childhood obesity.

WHO report says that children from 3-4 years of age should have 10-13 hours of good quality sleep.

Recommendations from WHO report:

Infants (less than 1 year) should:

  • At least 30 minutes of physical activity in prone position (tummy time)
  • Screen time is not recommended
  • Have 14–17h (0–3 months of age) or 12–16h (4–11 months of age) of good quality sleep, including naps.

Children 1-2 years of age should:

  • Spend at least 180 minutes in a variety of types of physical activities at any intensity
  • For one year olds, screen time (such as watching TV or videos, playing computer games) is not recommended.
  • For those aged 2 years, screen time should be no more than 1 hour; less is better.
  • Have 11-14 hours of good quality sleep

Children 3-4 years of age should:

  • Spend at least 180 minutes in a variety of types of physical activities at any intensity
  • Screen time should be no more than 1 hour; less is better
  • Have 10-13h of good quality sleep
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