विश्व स्वास्थ्य दिवस 2019 पर विशेष लेख : आयुष्मान भारत की सफलता और चुनौतियाँ
दुनिया आज विश्व स्वास्थ्य दिवस 2019 मना रही है। इस साल के अभियान की थीम है वैश्विक स्वास्थ्य बीमा व्याप्ति या Universal Health Coverage (UHC).
सात अप्रैल को मनाए जाने वाले विश्व स्वास्थ्य दिवस के इस अवसर पर प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना-आयुष्मान भारत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, डॉ. इंदु भूषण ने TheHealth.Today से प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) की सफलता और चुनौतियों के बारे में बात की।
प्रश्न 1- जब हम UHC की बात करते हैं तो इसका क्या मतलब होता है?
उत्तर- एक आम आदमी के लिए UHC का मतलब है सस्ती और उत्तम स्वास्थ्य सेवाएँ जो तीन आयामों में हासिल की जा सकें। ज़रूरी है कि ये तीनों आयाम एक साथ हासिल किए जाएँ। ये तीन आयाम हैं- (क) सुविधा का लाभ उठाने वाले लोगों की संख्या (ख) सेवाओं का प्रकार (ग) बीमा व्याप्ति की राशि।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत लाभ पाने वाले लोगों की सिर्फ़ संख्या ही मायने नहीं रखती। इस में कोई दो-राय नहीं कि UHC के माध्यम से सौ प्रतिशत लोगों को बीमा व्याप्ति राशि या कवरेज मिलना चाहिए लेकिन ये भी बहुत महत्त्वपूर्ण है कि किन सेवाओं के लिए कवरेज दिया जा रहा है।
प्रश्न 2. क्या PM-JAY में ये तीनों आयाम आते हैं?
उत्तर – हम चाहे सिर्फ़ अस्पताल में भर्ती मरीज़ को सुविधा दें या बाहरी रोगी को या कुछ निश्चित पैकेज उपलब्ध करवाएँ या फिर सभी पैकेज या अँगों का प्रत्यारोपण और दाँतों के रोग कवर करें। सामान्य तौर पर हम सेहत के हालात की उन कुछ मूल श्रेणियों को कवर करने की सुविधा देते हैं जो हमें लगता है कि सभी नागरिकों को मिलनी चाहिए। अभी बीमा राशि की एक सीमा तय है। बहुत से लोगों ने इस बारे में सवाल भी किया है कि इस की कोई सीमा नहीं होनी चाहिए।
आयुष्मान भारत ने तीनों आयामों में भारी सफलता हासिल की है। हमने लोगों की संख्या बढ़ाते हुए इसे पचास करोड़ से ज़्यादा कर दिया है और अन्य सेवाओं में ये अस्सी करोड़ के क़रीब है। सभी को इस योजना का लाभ मिलना चाहिए और हम इस बारे में कोशिश कर रहे हैं। सेवाओं के मामले में हम 1400 पैकेज कवर कर रहे हैं और धनराशि के मामले में इस कार्यक्रम के अंतर्गत हर परिवार को हर साल पाँच लाख तक की बीमा राशि का लाभ मिलेगा।
प्रश्न 3 आयुष्मान भारत योजना कैसी चल रही है?
उत्तर– इस कार्यक्रम के माध्यम से 18 लाख से ज़्यादा लोगों को लाभ मिल चुका है। 1.05 लाख लाभार्थी ई-कार्ड्स तैयार किए जा चुके हैं। 14,102 अस्पताल हमारे साथ मिलकर काम कर रहे हैं और राजस्थान भी इस का हिस्सा बना है। ये जल्दी ही हमारे कार्यक्रम लागू करेंगे। हम उन सभी राज्यों से बात कर रहे हैं जो अभी हमारी योजना में हमारे साथ नहीं जुड़े हैं।
प्रश्न 4. ‘सभी के लिए सेहत’ का लक्ष्य हासिल करने में आपके सामने क्या चुनौतियाँ हैं?
उत्तर – हम ‘सभी के लिए सेहत’ योजना उपलब्ध करवाने से अभी थोड़े दूर हैं। हम बाकी बचे हुए लोगों को भी सुविधा देने के उद्देश्य से लगातार काम कर रहे हैं। अभी हमने ओपीडी और कुछ अन्य स्वास्थ्य स्थितियों को कवर नहीं किया है। हालांकि सेहत से जुड़ी मूल श्रेणियों को कवरेज दिया गया है। ज़्यादातर देशों ने ऐसी ही चुनौतियों का सामना किया है। वियतनाम और चीन में उन्होंने सबसे निर्धन वर्ग से इस तरह के कार्यक्रमों की शुरुआत की थी क्योंकि ग़रीबों को सबसे पहले ये सुविधा देना सरल भी है और न्यायसंगत भी।
हम देश के मध्यम और उच्च वर्ग से भी मदद चाहते हैं। उन्हें इस योजना से जुड़ना चाहिए। लेकिन उन्हें कुछ निश्चित धनराशि का प्रिमियम अदा करना होगा। जो प्रिमियम का भुगतान कर सकते हैं उन्हें इस योजना को एक अच्छा मज़बूत पैकेज बनाने के लिए भुगतान ज़रूर करना चाहिए।
अगर हम इसे इच्छा पर आधारित कार्यक्रम बनाएँगे तो जिन लोगों को सेवाएँ पसंद आएँगी बस वही भुगतान करेंगे। इस तरह सेवाओं की लागत बढ़ती जाएगी। लेकिन अगर हम सभी को इस में शामिल करते हैं तो ये एक अच्छा पैकेज होगा। हम योजना बना रहे हैं कि भविष्य में सभी को इस में शामिल किया जाए।
बीमार पड़ने का डर हमेशा रहता है। लेकिन युवाओं में ये आशंका कम होती है। अगर सभी इस योजना का हिस्सा बनेंगे तो ये एक अच्छा सामाजिक सहयोग होगा। एक ऐसी व्यवस्था जिस में स्वस्थ लोग बीमार लोगों के लिए धनराशि देंगे, अमीर लोग निर्धन लोगों के लिए और युवा बुज़ुर्गों के लिए धनराशि अदा करेंगे।
अभी हाल ही में जो चुनौती सामने आ रही है वो है कुछ लोगों द्वारा आयुष्मान भारत के नाम पर धोख़ा-धड़ी करना। हम ने बहुत से केन्द्र और वैबसाइट्स बंद करवाई हैं। ये प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना की वैबसाइट के रूप में काम कर रहे थे। लेकिन ये नक़ली केन्द्र और वैबसाइट थे। ये लोगों को नक़ली ई-कार्ड्स मुहैया करवाने का वादा कर के फुसला रहे थे।
हमें झारखण्ड, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कुछ ऐसे अस्पतालों का पता चला जो ग़लत तरीक़े से फ़ायदा उठाने के लिए ओपीडी के मरीज़ों को अस्पताल में भर्ती मरीज़ बता रहे थे। कुछ अस्पतालों ने प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना के अंतर्गत मुफ़्त इलाज वाले मरीज़ों से पैसे ऐंठ लिए। हमने इस तरह के अस्पतालों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की और उन्हें मरीज़ों को पैसा लौटाने के लिए कहा।
प्रश्न 5. अमीर और ग़रीब राज्यों का प्रति व्यक्ति आय का अनुपात 1:5 है। आप निर्धन राज्यों में भी प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना को कैसे सफल बनाएँगे?
उत्तर – स्वास्थ्य के लिए ख़र्च की गई धनराशि एक बड़ी समस्या है। ये दुनिया में लगभग सबसे कम है। इस धनराशि को बढ़ाए जाने की ज़रूरत है।
हमारे यहाँ, भारत में और ज़्यादा पैसा ख़र्च किया जाना चाहिए। इसके लिए हम विशेषज्ञों से बात कर रहे हैं। इस के अलावा स्वास्थ्य सेवाओं का ख़र्च भी बढ़ रहा है। संक्रामक रोग अब ग़ैर-संक्रामक हो रहे हैं। ग़ैर-संक्रामक रोगों का इलाज अधिक महँगा है और ये लंबे समय तक चलता है।
इस में भी कोई शक़ नहीं कि हमारी आबादी की उम्र बढ़ रही है। वृद्धावस्था में होने वाली बीमारियों का इलाज महँगा है। नई तकनीक भी सामने आ रही है। कुछ मामलों में तकनीक की वजह से लागत कम होती है। लेकिन इस की वजह से सेवाओं का ख़र्च बढ़ता भी है।
इतना ही नहीं लोगों को अब ज़्यादा उम्मीदे हैं। जब आय बढ़ती है तब स्वास्थ्य सेवाओं का उपयोग दोगुना हो जाता है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए एक चुनौती ये होगी कि सेवाओं की लागत कैसे कम रखी जाए।
प्रश्न 6. आप गुणवत्ता वाली सेवाओं की लागत कैसे कम रखेंगे?
उत्तर– इस मामले में सामुहिक या मिलकर कोशिश करना फ़ायदे का सौदा होगा। अगर कोई एक व्यक्ति बीमार होता है तो उसे सेवा की गुणवत्ता और क़ीमत के लिए अकेले ही कोशिश करनी होगी। जब कोई एक व्यक्ति ऐसे हालात का सामना करता है तो भुगतान राशि हमेशा ज़्यादा होती है।
लेकिन हम साथ मिलकर सेवाओं का मोल तय करते हैं। हमने पहले से ही क़ीमतें तय की हैं और मानक उपचार प्रोटोकॉल के अनुसार इन्हें आगे बढ़ाया है। इस से हमें निश्चित रूप से लागत कम करने में मदद मिलेगी। जब एक बार योजना सही रूप से चलने लगेगी तब हम उपकरणों, इम्पलांट और दवाओं वगै़रह की क़ीमतें कम कर देंगे।
प्रश्न 7. क्या बचावकारी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के ना होने पर स्वास्थ्य बीमा कभी ख़त्म ना होने वाली प्रक्रिया बन जाती है।
उत्तर– PM-JAY प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को परोक्ष रूप से मज़बूत कर रहा है। स्वास्थ्य और कल्याण केन्द्र UHC का एक हिस्सा है। प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में अगर किसी को कैंसर होने की पुष्टि होती है तो तुरंत उस का इलाज होना चाहिए। बिना इलाज के जाँच और परीक्षण रोगी की कोई मदद नहीं कर पाएँगे। आयुष्मान भारत वहन करने लायक इलाज मुहैया करवाता है। इस वजह से प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल बहुत प्रभावी है।
लेकिन अगर प्रभावी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली तैयार की जाती है तब भी लोगों को कैंसर और हृदय रोग होंगे और उन के घुटने या कूलहे को बदलने की ज़रूरत पड़ेगी। ग़रीब लोग इन बीमारियों का इलाज नहीं करवा पाते। PM-JAY इस दिशा में सस्ती स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध करवाने के लिए काम कर रही है।