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भारत में कितने प्रकार का होता है अँगदान

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ऐसे 6 प्रकार के जीवन रक्षक अंग हैं जिन्हें भारत में मरीज़ का जीवन बचाने के लिए दान किया जा सकता है। ये हैं गुर्दा, यकृत या लीवर, हृदय, फेफड़े, पेंक्रिआज़ या अग्नयाश्य और आँत। इसी तरह से ऊतक जैसे कि कोर्निया, त्वचा का हिस्सा और हड्डियों को तैयार किया जाता है और प्रत्यारोपित किया जाता है। चिकित्सकों द्वारा किसी मरीज़ को दिमाग़ी तौर पर मृत घोषित किए जाने के बाद ही उसके अंग हासिल किए जा सकते हैं।

कुछ समय पहले भारत में गर्भाशय प्रत्यारोपण भी शुरू हुआ है। हालांकि मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम(2011) के अनुसार गर्भाशय जीवन रक्षक अंग नहीं है।

भारत में अंग दान करने वाले व्यक्तियों की बहुत कमी है और इसी वजह से हर साल लाखों मरीज़ों की मृत्यु हो जाती है क्योंकि अंग दान करने वाले व्यक्ति उपलब्ध नहीं हो पाते।

ये याद रखना ज़रूरी है कि दुनिया में सबसे ज़्यादा आबादी होने पर भी अंगदान में भारत सबसे अंतिम स्थान पर है जो है 0.8 प्रति दस लाख आबादी। 32 प्रति दस लाख के आँकड़ें के साथ स्पेन इस सूची में पहले स्थान पर है।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाला राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन देश भर में एक पारदर्शी व्यवस्था द्वारा अस्पतालों में मानव अंगों के आवंटन का प्रबंध करता है।

सफ़दरजंग अस्पताल के गुर्दा प्रत्यारोपण और मूत्रविज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. अनूप कुमार ने कहा कि भारत में अधिकतर गुर्दा, हृदय, फेफड़े और यकृत प्रत्यारोपण किया जाता है। पेंक्रिआज़ और आँतों का प्रत्यारोपण कम होता है लेकिन भारत में किया जाता है। हाल ही में भारत में गर्भाशय का प्रत्यारोपण भी शुरू किया गया है। लेकिन गर्भाशय जीवन रक्षक अंग नहीं है और हम अभी भी इस के अच्छे लंबे समय तक सामने आने वाले परिणामों को देख रहे हैं। डॉ. कुमार राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन की शीर्ष विशेषज्ञ तकनीकी समिति के सदस्य भी हैं।

ये अच्छा है कि और अधिक लोग अंग दान कर रहे हैं। लेकिन अभी भी और जागरूकता अभियानों की ज़रूरत है। वर्तमान समय में भारत में अंग दान करने वाले और अंग पाने वाले व्यक्तियों का अनुपात बहुत कम है क्योंकि माँग और आपूर्ति के बीच बहुत अंतर है। उत्तर भारत में ख़ास तौर से हालात बहुत ख़राब हैं। देश में सिर्फ़ दस प्रतिशत शवों से ही अंग हासिल किए जा सकते हैं।

डॉ. कुमार ने कहा कि देश भर में हर साल लगभग दो लाख लोग गुर्दा प्रत्यारोपण करवाना चाहते हैं। अगर दिल्ली-एनसीआर की बात की जाए तो सिर्फ़ दस प्रतिशत मरीज़ों का ही गुर्दा बदला जा सकता है और नब्बे प्रतिशत इंतज़ार करते रहते हैं।

राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन की निदेशक डॉ. वसंथी रमेश ने कहा कि विभाग अंग दान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है।

राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन के अनुसार पूरे भारत में कुल 905 शवों से अंग हासिल किए जा सके जबकि 2016 में ये संख्या 807 थी।

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